गैसलाइटिंग प्रभाव क्या है –
यह एक गलत अौर नाकारात्मक व्यवहार है। कुछ लोग दूसरे के दिल अौर दिमाग पर हावी हो कर, उन्हें अपने तरीके से चलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे करीबी लोग हीं करते हैं। अगर लोगों के व्यवहार पर गौर करेंगें, तब आप अपने आसपास ऐसे लोगों को आसानी से पहचान सकते हैं। इसका प्रभावित व्यक्ति के व्यक्तित्व पर बुरा असर पङता है।
अगर किसी में ये लक्षण मौजूद हैं तब इसका अर्थ है उसके ऊपर कोई हावी होने की कोशिश कर रहा है या वह गैसलाइटिंग प्रभाव का शिकार है-
- लगातार आरोपों से तार्किक तरीके से सोचने में बहुत बार दुविधा व उलझन में महसूस होने लगती है।
- इस प्रभाव का शिकार लोगों को लगता है कि वे बहुत संवेदनशील या ईर्ष्यालू र्है।
- बिना कारण ये झूठ बोलने या बातों को छूपाने / कवर करना शुरू कर देते हैं।
- .घबराहत या भ्रम की वजह से ये अक्सर “हाई अलर्ट” या हाइपरविजीलेंट रहते हैं।
- बिना गलती या छोटी-छोटी बातों पर ये माफी मांगने लगते हैं ।
- ये अक्सर बचनेवाला व्यवहार / defensive behaviour दिखलाते हैं।
- अतिसंवेदनशील अौर सतर्क होने की वजह से ये हमेशा घबराये रहते है अौर भविष्य की संभावित बातों से ङरते रहते हैं – अौर अनुमान लगाते रहते हैं कि भविष्यवाणी मैं कुछ ( शायद गङबङ) होने वाला है ।
- बेवजह परिवार और दोस्तों से बात छुपाते हैं।
- कभी-कभी ये यहाँ तक सोच लेते हैं कि कहीं ये पागल हो नहीं हो रहे ।
गैसलाईटिंग में लंबा समय लगता है अतः यह व्यक्ति के आत्मविश्वास और घटनाओं को समझने की अपनी समझदारी पर अविश्वास करने लगते हैं। जिससे इनकी क्षमता कम होने लगती है। यह एक प्रकार के ब्रेनवॉश का तरीका है।, मूवी गैसलाइट (1 9 44) में, एक आदमी गैसलाइटिंग प्रभाव से अपनी पत्नी की ऐसी मनःस्थिती बना देता है, जब वह सोचने लगती है कि वह अपना दिमागी संतुलन खो रही है। इस शब्द की उत्पत्ति, 1 9 38 के एक नाटक और 1 9 44 के उपरोक्त फिल्म से हुई है।


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