मित्र आगमन पर नंगे पैर दौङ पङे कृष्ण,
ना कान्हा ने सुदामा को आंका।
ना राम ने सबरी , हनुमान को नापा।
हम किसी से मिलते हीं सबसे पहले,
एक- दूसरे को भांपते है, आंकते है,
आलोचना -समालोचना करते हैं।
तभी सामने वाले का मोल तय करते हैं।
रुप, रंग, अौकात …..
देख कर लोगों को पहचानते हैं।
भूल जाते हैं , अगर ऊपरवाला हमारा मोल लगाने लगेगा,
तब हमारी पहचान क्या होगी ? हमारा मोल क्या होगा?
Indispose, Edition 172 –How do you feel when people judge you? Do you judge people as well? #JudgingPeople
image from internet.


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