गूंज


हम अपने बोले शब्दों के गूजं अौर  मौन  के बीच  रहते हैं

हमारे अपने विचारों  से बनता है हमारी जिंदगी का आशियाना।

 

 

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15 thoughts on “गूंज

  1. रेखा जी शायद “मौन” विषय पर शोध कर रहीं हैं ☺️
    वैसे विचार अच्छा है 👍

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    1. शोध तो महिलाअों पर किया है। पर जिंदगी के शोध ने मौन अौर शब्दों के बारे में बहुत कुछ सीखा दिया है। वही आप सबों से शेयर करते रहती हूँ। 🙂

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      1. अनुभूति बांटते रहिये!
        You write very well with delicate touch of the emotions.

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      2. 🙂 जब मैंने ब्लौग पर लिखना शुरु किया था, तब बस अपने लिये लिखती थी। Followers भी नहीं बनाना चाहती थी।
        पर अब तो Share करने में हीं अच्छा लगता है। अौर सच बताऊँ, आप लोगों के जवाब, like, प्रशंसा tonic का काम करती है।
        Thanks a lot.

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  2. अाशियाना अाशिकों का होता हैं,
    अाशियाना मोहब्बत करने वालो का होता हैं,
    महल राजाओं का होता हैं,
    घर मेहनती लोगों का होता हैं,
    और झोपड़ी गरीबों की!!

    मेरी गिनती इन में से कही नहीं होती,
    मैं दिल में रहता हूँ,
    जिस की कोई जगह नहीं होती,
    कभी पैर तले कुचला जाता,
    कभी धोखे तले मारा,
    अपना कोई वजूद नहीं मेरे दोस्त,
    गऱ होता वजूद,
    तो हम यहाँ WordPress पर,
    Word ना Press कर रहे होते!!
    😀😀😀😀😀😊👍

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