मौन

 

मौन  को चुप्पी ना समझें,  बहुत कुछ छुपा होता है इसके अंदर,  इसे समझ सकतें हैं

इसकी रहस्यमय गहराई तक  झाँक कर,  क्योंकि मौन की भाषा में शब्द नहीं होते  ।।

39 thoughts on “मौन

  1. शब्द होते हैं खामोशी में,
    जरा गौर से सुनों,
    न समझ पाऐं,
    गऱ मेरी खामोशी,
    तो माफ करना,
    मेरे तुम से,
    अच्छी तो,
    मेरी खामोशी हैं,
    जो मुझे खोना,
    नहीं चाहती,
    बस चुपके से,
    आप के कान में,
    कहती हैं,

    अरे यारा,
    कभी समझा भी कर,
    दोस्तों की खामोशी,
    दुश्मन तो शोर,
    मचाते ही रहते हैं!!😊👍

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    1. वाह ! बड़ी खूबसुरत रचना लिख डली आपने राजीव.बहुत सुंदर !!! बहुत बहुत धन्यवाद .

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