कन्या पूजन ( कविता )

बस एक पुरानी कविता आज के दिन को समर्पित है !!!!

अखबार के पन्ने  रंगे हैं ‘हैप्पी विमेंस डे’ की

बधाईयों  से,

लेकिन इन खबरों को पढ़ने के बाद

क्या लिखा जाए और क्यों लिखा जाए?

 

Todays News – The Indian Express wed, MARCH 8, 2017

  1. 19 foetuses found: homeopath held, police say he has confessed.
  2. women dies in botched-up abortion.
  3. sold to a brothel at 12, she fought diseases, poverty, but hung on to hope.

 

नवरात्रि की अष्टमी तिथि ,
प्रौढ़ होते, धनवान दम्पति ,
अपनी दरिद्र काम वालियों
की पुत्रियों के चरण
अपने कर कमलों से
प्यार से प्रक्षालन कर रहे थे.

अचरज से कोई पूछ बैठा ,
यह क्या कर रहें हैं आप दोनों ?

अश्रुपूर्ण नत नयनों से कहा –
“काश, हमारी भी प्यारी संतान होती.”
सब कुछ है हमारे पास ,
बस एक यही कमी है ,

एक ठंडी आह के साथ कहा –
प्रायश्चित कर रहें है ,
आती हुई लक्ष्मी को
गर्भ से ही वापस लौटाने का.

Source: कन्या पूजन ( कविता )

88 thoughts on “कन्या पूजन ( कविता )

      1. Wow, that needs a strong heart to fight with society. Congratulations for the lil princesses you are blessed with. You really made me smile today. 😚
        God bless you and your daughters.

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      2. Nai.. Uske liye apko bas email id chahiye. Site bhi hai aur app bhi. Jo thek lage wese use kr skte ho. Bas uspe kuch topics jo interest de use follow kro fir create your account using gmail id.

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    1. ऐसा क्यों कहा तुमने? हाँ, कुछ हर गलतियों को सुधारना मुश्किल है। पर प्राश्चित सुकुन देगी, यह तो तय है।

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      1. प्राश्चित करने के लिए बहुत बड़ा ह्रदय चाहिए होता है.. हमारे लोगों में तो अपनी गलतियां मानने का साहस भी नहीं

        मेरे पती की एक दूर की बहन हैं जो 3 बार एबॉर्शन करवा चुकी हैं.. उनकी एक बेटी है है और उसके बाद एक लड़का होना चाहिए। पढ़ी लिखी.. खुद एक टीचर हैं.. सास-ससुर के साथ रहते भी नहीं जो ये कहाओ की उनपर in-laws का दबाव हो। जब एक औरत ही अपने अंदर पनपने वाली संतान की रक्षा नहीं करती तो इस पाप का प्राश्चित क्या है। कल अगर उन्हें भान भी हुआ तो क्या? कुछ कर्मों की सिर्फ सजा होती है प्राश्चित नहीं

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      2. हां, मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं . प्रायश्चित करना आसान नहीं। मैंने ठीक ही लिखा है ना, कि दुनिया बहुत आगे बढ़ चुकी है पर इन मामले में हम बहुत पीछे हैं। यह जेंडर इनइक्वॉलिटी पता नहीं कब लोगों के समझ में आएगा ? क्या सिर्फ लड़कों से दुनिया चल पाएगी? भगवान ने न जाने कितने रंग के बनाए, फिर यह लड़के लड़की के में इतना भेद क्यों ?

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      3. जी आपने बिलकुल सही लिखा है.. ये बात शायद इसलिए भी नहीं समझते लोग क्योंकि वो दूरदर्शी नहीं होते.. अगली पीढ़ी को जिन मुश्किलों का सामना करना है वो उनको नहीं समझ पाते। उन्हें सर अभी का नज़र आता है.. बेटी खर्चा और बेटा वंश दिखता है। वो ये नहीं समझ पाते इस वश को अंकुरित करने के लिए फिर बेटी ही की जरुरत होगी।
        कुछ और वजह भी होती हैं.. सामाजिक प्रतिबद्धता.. बेटी का विवाह करना ही है और उसमें दहेज़ देना ही है.. वो व्यक्ति जीके खुद के खाने के लाले हैं वो कहाँ से इतना पैसा लायेगा इसलिए भी भुर्णहत्या की जाती है।
        लेकिन वजह जो कोई भी हो गलत तो गलत ही है
        और ये लोगों को समझना पड़ेगा वरना इसके परिणाम बहुत बुरे होंगे.. human trafficking.. बढ़ते हुए बालात्कार के मामले.. सेमलैंगिकता इन सब के पीछे कुछ हद तक भुर्णहत्या भी एक कारण है

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      4. तुमसे बातें करके एक बातें कर के बहुत अच्छा महसूस हुआ। तुम्हारे विचार बहुत स्पष्ट है, विशेषकर इस मामले में। चलो आज की जनरेशन में नए विचार नई समझ आ जाए तो तब दुनिया बदल सकती है।

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      5. जी हुम्सब्ने उम्मीदें बाँधी हुयी हैं.. और उम्मीद पे तो दुनिया कायम है.. आपके लेख हमेशा सोचने पर मजबूर कर देते हैं.. लिखते रहिये 😊🙏🙏

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      6. हाँ , उम्मीद पर दुनिया टिकी है. तारीफ के लिये शुक्रिया और हौसला अफजाई के लिये भी. 😊

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