जिंदगी के रंग – कविता 10

कभी हमनें बिना सोंचे कुछ कह दिया।
उलझन में , कभी बिना बोले रह गये।

ना जाने इस  गलतफहमी में

कब कहाँ किसी का दिल दुखा दिया,

कब अपने दिल में छाले बना लिया………..

 

 

 

 

 

दुनिया के धोखे

बातें करते हैं लोग बङी-बङी,

बनते है शिक्षित और बौद्धिक,

दूसरों को कहतें हैं फरेबी अौर धोखेबाज।

कुछ ने बेबसी – गरीबी से धोखा दिया।

पर उनका क्या  जो सबल – सामर्थवान-धनवान हैं?

कहतें हैं पाना मुश्किल था,

इस लिये धोख का सरल राह पकङ ली?

सभी चीजें मुश्किल  है,

पाने के बाद  हीं वे आसान होती हैं

क्या बस   धोखे की दुनिया है?