हाल – कविता( आध्यात्मिक सूफी संगीत में डूबा नृत्य )


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हाल में डूबे हो तो हाला का हलाहल भी असर नहीँ करता। बस, सारे आकाश में, ईश की आभा बिखरी दिखती है।   photo taken from internet.…

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10 thoughts on “हाल – कविता( आध्यात्मिक सूफी संगीत में डूबा नृत्य )

  1. ये हाल पैदा हमने नही किये थे
    उनकी याद में उनके प्यार में
    पैदा हुवे थे सपने अब हालत होगये
    जाये कहा इन हालत से दूर
    प्यार गया वोह गए हाल बयान करता हु
    कोई न जाने हाल खुद पैदा नही होते
    समय ऐसा आता हे हालत पैदा होजाते हे

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