मुट्ठी में पकडे रेत की तरह ,
ना जाने कब वक्त फिसल गया.
जिंदगी की आपाधापी में.
वर्षों बीत गये जैसे पल भर में.
पुराने दोस्तों से अचानक
भेट हो जाती हैं.
तब याद आता हैं ,
दशकों बीत गये , बिना आहट के.
तब याद आते हैं
वे सुनहरे – रुपहले दिन.
वे यादें , आज़ भी अनमोल हैं ,
वे साथी आज़ भी अनमोल हैं.

images from internet.

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