मुझे लगता है मूवी रिव्यु लिखना, किसी फिल्म की बारीकियों को समझने और अभिव्यक्त करने की कला है। इस कला में मैं अनाड़ी हूं। मैंने आज तक रिव्यु नहीं लिखा हैं। यह मेरा पहला प्रयास है। यह मैं किसी के अनुरोध पर लिख रही हूं। मुझे नहीं पता, मैं इस समीक्षा के साथ कितना न्याय कर पा रही हूं । आपके विचार सादर आमंत्रित है।
“पावा कढ़ाइगल ” मैं ने नेटफ्लिक्स पर देखी । इसकी पहली कहानी “थांगम/ सोना” ने मेरे दिल को छू लिया। सत्तार का चरित्र बिल्कुल सच्चाई के करीब और मार्मिक है। जिसे मैं भूल नहीं पा रही। इसलिए मुझे यह ख्याल अच्छा लगा कि अपने दिल की बातों को पन्ने पर उतार दूं। इसके इंट्रो में बेहद खूबसूरती से, लाल रंग को नारी जीवन के बदलावों के प्रतीक रूप में दिखाया गया है। थंगम एक ट्रांस ग्रामीण की कहानी है। कहानी का नायक, युवा सत्तार पुरुष शरीर में फंसा नारी मन है। जिसमें नारी सुलभ ईर्ष्या, प्रेम, नारी बनने की ख्वाहिश और सजने सँवरने की लालसा है। उसका सपना है अपना ऑपरेशन करा कर एक संपूर्ण नारी बनना। वह दिल से नारी है। इसलिये किसी सामान्य युवती की तरह वह अपने बचपन के मित्र सरवनन (शांतनु ) से बेहद प्यार करता है। जिसे वह प्यार से ‘सोना’ बुलाता है। महिला ट्रांसजेंडर सत्तार समाज के क्रूर व्यवहार और बहिष्कार का सामना करता है। सत्तार का एक मार्मिक डायलॉग उसके दिल का दर्द बखूबी बयान करता है –
“जब मैं किसी को छूता हूं तो लोग मुझे गलत समझते हैं या दूर भाग जाते हैं। ऐसे प्यार से मुझे आज तक किसी ने गले नहीं लगाया।”
हम सब अपना दर्द खूब महसूस करते हैं। जरूरी यह है कि दूसरों की तकलीफें भी उतनी ही शिद्दत से महसूस की जाए। ताकि यह खूबसूरत दुनिया और खूबसूरत बन जाए। कहते हैं ट्रांसजेंडर ईश्वरीय भूल है। लेकिन हम अर्धनारीश्वर को पूजते हैं। प्राचीन संस्कृति में किन्नरों को यक्ष और गंधर्वों के बराबर माना जाता था। उन्हें मंगल या शुभ कहते थे। पर आज समाज में तीसरे जेंडर की स्थिति बेहद नाजुक है। जिसे कालिदास और सुधा कोंगारा ने थांगम में अभिव्यक्त किया है। हम भूल जाते हैं कि ट्रांसजेंडर अन्य रचनाओं की तरह हीं ईश्वर की अनोखी और दुर्लभ रचना है। उनके पास भी दिल और भावनाएं होती हैं। जिस का हमें सम्मान करना चाहिए।
तमिल कथा संकलन ‘पावा कढ़ाइगल’ को हिंदी में ‘ गुनाहों की कहानियां या सिन स्टोरीज’ कह सकते हैं। थांगम नेटफ्लिक्स की तमिल एंथोलॉजी, ‘पावा कढ़ाइगल’ का हिस्सा है। इस लघु फिल्म को हिंदी, इंग्लिश, तमिल या तेलुगु में देखने के ऑप्शन उपलब्ध है। इस का संगीत मधुर है अौर बहते झरने के आसपास का दृश्य मनोहर है।
गौतम मेनन, वेत्रिमरन, सुधा कोंगारा और विग्नेश शिवन की समाज की कालिमा अभिव्यक्त करती हुई लाजवाब लघु फिल्म है। जो समाज के कई पक्षों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करती है। नायक कालिदास जयराम ने सत्तार के ट्रांस कैरेक्टर एक्टिंग में दिल जीत लिया। अगर आपके पास 45 मिनट समय है। तब इसे जरूर देखें । शायद यह आपके ख्यालात और सोचने का नजरिया बदल दे।
Paava kathaigal – Thangam on Netflix