तीन वर्ष की कन्या को देवी बनाते हैं
नवरात्रि में कन्या पूजन करते हैं।
पर उसकी पहचान इस बड़ी दुनिया में खो क्यों जाती है।
वह मातृत्व, गृहणी …. के दायित्व में हीं क्यो भाती है?
क्या यह संभव नहीं कि
उसे खुला आसमान दें , उङान भरने के लिये
ताकि वह अपने जीवन पर गर्व कर सके?