देखा था पशुअों का माइग्रेशन
केन्या, अफ्रिका के जंगलों में।
एक हीं दिशा में,
स्कूल के बच्चों जैसे अनुशासित और अनंत लंबी पंक्तियों में लयबद्ध दौङते,
भागते वाइल्डबीस्ट और ज़ेबरा के झुंङों को।
नदियों मे मगरमच्छों, धरा पर शेरों के शिकार बनते,
मैदान, नदी–नाले पार करते, क्रूर मौत से बचते–बचाते।
अौर सुना था…..
बसंत आने के साथ होता है दुनिया भर में पक्षियों का माइग्रेशन।
पंखों के उड़ान की अद्भुत शक्ति के साथ
अपने घरों को लौटते हैं ।
आर्कटिक टर्न पक्षी, चमगादड़, व्हेल, सामन मछलियां, तितलियाँ, पेंगुइन……
इन विश्व यात्रियों की महा यात्रा युगों-युगों से
ऋतु परिवर्तन के साथ नियमित चली आ रही है।
यह प्रकृति का विधान है।
लेकिन देखा है पहली बार मानव-माइग्रेशन।
भूखे-प्यासे जलती-तपती धूप में जलते अौ चलते लोग,
अपने घरों की अोर………
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