लोग हो ना हों, हौसले इनके ज़िन्दा हैं.
इतनी जल्दी भूल गए,
वेट बाज़ार- कोरोना कितना बड़ा फंदा है?
अपनी नहीं चिंता अगर,
दुनिया की तो सोचों.
इन चमगादड़, पैंगोलीन, कुत्तों की सोचों…….


लोग हो ना हों, हौसले इनके ज़िन्दा हैं.
इतनी जल्दी भूल गए,
वेट बाज़ार- कोरोना कितना बड़ा फंदा है?
अपनी नहीं चिंता अगर,
दुनिया की तो सोचों.
इन चमगादड़, पैंगोलीन, कुत्तों की सोचों…….



एक नौजवान लेखक के कलम में ऐसी
क्या ताक़त थी कि कुछ लोगों
में इतना डर भर गया ?
क्यों कहते हैं कलम आज़ाद होती है .
यह दुर्घटना है या लिखने की सज़ा?
You must be logged in to post a comment.