चमगादड़ और चीन- आओ थोड़ा हँस लें !

शाम के धुँधलके में एक बड़ा चमगादड़,

अपने विशाल पंख फैलाए,

इतराता, उड़ता हुआ ऐसे गुज़रा,

जैसे रातों का राजा हो …..

कहा हमने – बच्चू यहाँ हो इसलिए इतरा रहे हो,

चीन में होते तो सूप के प्याले में मिलते …….

पास के पेड़ पर उलटा लटक कर वह हँसा और बोला-

हम भी कुछ कम तो नहीं.

एक झटके में सारी दुनिया  उलट-पलट दी.

अब चमगादड़ का सूप पीनेवालों को

अपनी छोटी-छोटी पैनी आँखों से चिकेन भी चमगादड़ दिखेगा.

 

 

चाँद The moon

उस रात पूरा  चाँद थोड़ा 

मेरी ओर झुक आया ..

हँसा …..

बोला …..

अब फिर अमावस का अँधेरा मुझे घेरने लगेगा .

पर मैं हार नहीँ मानता कभी .

जल्दी ही पूरा हो कर 

फ़िर आऊँगा …

शब्बा  ख़ैर ! ! ! !