दूर कहाँ ??

यह कविता ब्लॉगर दोस्त निमिष की अोर से सभार मेरे लिये।

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दूर कहाँ ??

तुम तो मेरे सबसे करीब हो

विकट से विकट क्षणों में सबसे निकट हो

हाँ , अब तुम मेरी निकटता पर संशय कर सकते

किसी तीसरे का दृष्टिकोण प्रस्तुत कर सकते

अनुपात , क्षेत्रफल , वेग आदि गणितीय दूरी माप सकते

एक-दूजे की नजदीकियों पर प्रश्नचिन्ह लग सकते

पर सत्य बड़ा सात्विक सरल है !!

मेरे सम्मुख खड़ा सजीव व्यक्ति भी मुझसे कोसों दूर है

तन-मन , तम-ताप , उत्सव-उल्लास हर जगह तुम साथ , मेरे करीब हो

शायद इसीलिये तुम 

ब्रम्हाण्ड के दूसरे सिरे से भी साफ साफ नजर आ रही हो….

साफ साफ नजर आ रही हो….

 

Nimish (मेरी एक कविता आप दोनों के लिए)