ना समझो इसे मौन,
खोज़ रहें है, हम हैं कौन?
कर रहे हैं अपने आप से गुफ़्तगू।
हमें है खोज़ अपनी, अपनी है जुस्तजू ।
इश्क़ अपने आप से, अपने हैं हमसफ़र।
छोटी सी ज़िंदगी, छोटी सी रहगुज़र।
रेत हो या वक्त ,
फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।
लगेगा नहीं कुछ खबर। 
ना समझो इसे मौन,
खोज़ रहें है, हम हैं कौन?
कर रहे हैं अपने आप से गुफ़्तगू।
हमें है खोज़ अपनी, अपनी है जुस्तजू ।
इश्क़ अपने आप से, अपने हैं हमसफ़र।
छोटी सी ज़िंदगी, छोटी सी रहगुज़र।
रेत हो या वक्त ,
फिसल जाएगा मुट्ठी से कब।
लगेगा नहीं कुछ खबर। 
ज़िंदगी में मिलतीं कई हैं राहें।
कुछ राहें जातीं हैं
तिमिर से तिमिर… अंधकार की ओर।
कुछ अंधकार से रोशनी की ओर,
कुछ ज्योति से तिमिर की ओर,
कुछ ज्योति से ज्योति की ओर।
इन मुख़्तलिफ़ राहों से चुन लो
किधर है जाना।
इन राहों में जिसे चाहो चुनो,
वापस लौटने की नहीं है गुंजाइश,
शर्त-ए-ज़िंदगी बस इतनी है।
