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जीवन के रंग – 36
शीतल हवा का झोंका बहता चला गया।
पेङो फूलों को सहलाता सभी को गले लगाता ……
हँस कर जंगल के फूलों ने कहा –
वाह !! क्या आजाद….खुशमिजाज….. जिंदगी है तुम्हारी।
पवन ने मुस्कुरा कर कहा –
क्या कभी हमें दरख्तों-ङालों, खिङकियों-दरवाज़ों पर सर पटकते….
गुस्से मे तुफान बनते नहीं देता है?
हम सब एक सा जीवन जीते हैं।
गुस्सा- गुबार, हँसना-रोना , सुख-दुख,आशा-निराशा
यह सब तो हम सब के
रोज़ के जीवन का हिस्सा है!!!