परख

अनसुना किए जाने पर मौन हो

परखना बेहतर है।

अनदेखा किए जाने पर बातें

लिखना बेहतर है।

तब अनदेखा अनसुना करने वाले

हर बात पर गौर करने लगते हैं।

परख

धोखा खाया अपनों और बेहद अपनों से!

लेकिन तब हीं उन परायों की परख हुई ,

जो वास्तव में अपने थे।