वर्तमान

भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है इसका भय अौर चिन्ता,

भूत काल की यादें, दुख ….अफसोस ….पछतावा

क्या कुछ बदल सकता है ?

फिर क्यों नहीं चैन से साँस लिया जाय

अौर वर्तमान में …..

जिया जाये ? ?

जीवन के रंग – 36

शीतल हवा का झोंका बहता चला गया।

पेङो फूलों को सहलाता सभी को गले लगाता ……

हँस कर जंगल के फूलों ने कहा –

वाह !! क्या आजाद….खुशमिजाज….. जिंदगी है तुम्हारी।

पवन ने मुस्कुरा कर कहा –

क्या कभी हमें दरख्तों-ङालों,  खिङकियों-दरवाज़ों पर सर पटकते….

गुस्से मे तुफान बनते नहीं देता है?

हम सब एक सा जीवन जीते हैं।

गुस्सा- गुबार, हँसना-रोना , सुख-दुख,आशा-निराशा

यह सब तो हम सब के

रोज़ के जीवन का हिस्सा है!!!