भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है इसका भय अौर चिन्ता,
भूत काल की यादें, दुख ….अफसोस ….पछतावा
क्या कुछ बदल सकता है ?
फिर क्यों नहीं चैन से साँस लिया जाय
अौर वर्तमान में …..
जिया जाये ? ?
भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है इसका भय अौर चिन्ता,
भूत काल की यादें, दुख ….अफसोस ….पछतावा
क्या कुछ बदल सकता है ?
फिर क्यों नहीं चैन से साँस लिया जाय
अौर वर्तमान में …..
जिया जाये ? ?
शीतल हवा का झोंका बहता चला गया।
पेङो फूलों को सहलाता सभी को गले लगाता ……
हँस कर जंगल के फूलों ने कहा –
वाह !! क्या आजाद….खुशमिजाज….. जिंदगी है तुम्हारी।
पवन ने मुस्कुरा कर कहा –
क्या कभी हमें दरख्तों-ङालों, खिङकियों-दरवाज़ों पर सर पटकते….
गुस्से मे तुफान बनते नहीं देता है?
हम सब एक सा जीवन जीते हैं।
गुस्सा- गुबार, हँसना-रोना , सुख-दुख,आशा-निराशा
यह सब तो हम सब के
रोज़ के जीवन का हिस्सा है!!!