गुमान

गुमान था अपनी फोटोग्राफिक स्मृति पर,
जो देखा उसे याद रखने की फोटो स्मृति क़ाबिलीयत पर,
ना भूलने की क्षमता पर,
फिर देखा अपनी ताकत ही अपनी कमजोरी बनते।
अब लड़ रहे हैं अपने आप से
अपनी यादों से, याददाश्त से,
किसी को विदा किए पलों को,
एक दिन, इक तारीख को भूलने की कोशिश में।

अँधेरा

समय  चक्र चलता रहता है,

अँधेरा …. अौर फिर उजाला….

कहते हैं –

अँधेरे को उजाला हराता है।

पर अक्सर लगता है –

रात के अँधेरे अनोखे….  अद्भुत…… विचार देते हैं।

शायद

मौन अंधेरा आँखों

की ताकत भी दिलो दिमाग में भर देता है।

शायद

स्वयं को देखने अौर आत्म मंथन

के हालात बना नवल -नये विचारों को जगाता है।

   बच्चों सी  मीठी हँसी 

ढेर सारी मीठी मीठी हँसी

छलक छलक कर बिखर गई।

बरसाती, उफनती  नदी सी बह कर सभी को

अपने साथ गीली करती भिगो गई।

कांटों भरी, संघर्ष शिखर लगते हालातों में

हौसले ,  ताकत, सबक  दे जाती हैं

बच्चों की  यह मासूमियत ।

इसलिये बचपना बचाये रखना !!!!!