जब अपनी चाँदी सी सुकून भरी चाँदनी भर देता हैं चाँद,
खुली खिड़कियों से कमरे में।
तब हम अक्सर गुफ़्तगू करते हैं चाँद और सितारों से।
वातायन से झाँकता चाँद हँस कर कहता है,
दूरियाँ-नज़दीकियाँ तो मन की बातें है।
कई बार लोग पास हो कर भी पास नहीं होते।
रिश्तों में बस शीतलता, सुकून और शांति होनी चाहिए।
देखो मुझे, जीवन में घटते-बढ़ते तो हम सब रहते हैं।
मुस्कुरा कर सितारों ने कहा हैं-
याद है क्या तुम्हें?
हमें टूटते देख दुनिया अपनी तमन्नाएँ औ ख़्वाहिशें
पूरी होने की दुआएँ माँगती है, हमारा टूटना नहीं देखती।
फिर भी हम टिमटिमाते-खिलखिलाते रहते हैं।
कभी ना कभी सभी टूटते औ आधे-अधूरे होते रहतें हैं।
बस टिमटिमाते रहो, रौशनी और ख़ुशियाँ बाँटते रहो।
क्योंकि सभी मुस्कुराहटों और रौशनी की खोज़ में है।

