हाथ पकड़ कर !

दिया तुमने दर्द औ तकलीफ़।

ज़रूर कुछ सिखा रहे हो,

कुछ बता रहे हो।

डिग्री नहीं, सच्चे सबक़ नज़रों

के सामने ला रहे हो।

जानते हैं गिरने ना दोगे।

हाथ पकड़ कर चलना सीखा रहे हो।

ज़िंदगी के रंग -200

  ज़िंदगी बङी  सख़्त और ईमानदार गुरु है.

अलग-अलग तरीक़े से पाठ पढ़ा कर इम्तिहान लेती है…..

और तब तक लेती है,

जब तक सबक़ सीख ना जाओ.

अभी का परीक्षा कुछ नया है.

रिक्त राहें हैं, पर चलना नहीं हैं.

अपने हैं लेकिन मिलना नहीं है.

पास- पड़ोस से घुलना मिलना नहीं है.

इस बार,

अगर सीखने में ग़लती की तब ज़िंदगी पहले की तरह पाठ दुहराएगी नहीं …

और फिर किसी सबक़ को सीखने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी.

कोरोना के टेस्ट में फ़ेल होना हीं पास होना है.

पर किसी के पास-पास नहीं होना है.