पड़ाव

जब भी कहीं डेरा डालना चाहा.

रुकना चाहा.

ज़िंदगी आ कर कानों में धीरे से कह गई-

यह भी बस एक पड़ाव है…

ठहराव है जीवन यात्रा का.

अभी आगे बढ़ना है,

चलते जाना है. बस चलते जाना है.

 

image courtesy – Aneesh

जिँदगी के रंग – 48

बंद आँखें …. 

कंधे पर ले बोझ ,

जलते अौर चलते जाना जीवन नहीं !!!

दिल की धङकने 

और अपनी अंदर जल रही लौ

का दर्पण,  

खुले  पंख , 

खुशी  अौर दर्द  के साथ  जीना ….

….उङना,

ऊपर उठना सीखा देती है!!!!!