किस बात का अभिमान साधो ?

ख़ाक में, राख़ में लिपटे,

शमशानों में भटकते भभूतमय शिव का

संकेत है कि ज़िंदगी यहाँ ख़त्म होती है।

कौन कब जहाँ छोड़ जाए, मालूम नहीं।

ग़ुरूर में डूबे कितने इन राहों से गुज़र गए।

फिर किस बात का अभिमान साधो ?

#TopicYoyrQuote

ग़ुरूर

स्वाभिमान अच्छा है

ग़ुरूर नहीं।

कितने हिचक के बाद

माँगते हैं लोग मदद,

अपनी ख़ुद्दारी दरकिनार कर।

मदद ना करो तो है अच्छा,

मदद कर याद दिलाने से।

स्वाभिमान अच्छा है,

ग़ुरूर दिखाने से।