जागता रहा चाँद

जागता रहा चाँद सारी रात साथ हमारे.

पूछा हमने – सोने क्यों नहीं जाते?

कहा उसने- जल्दी हीं ढल जाऊँगा.

अभी तो साथ निभाने दो.

फिर सवाल किया चाँद ने –

क्या तपते, रौशन सूरज के साथ ऐसे नज़रें मिला सकोगी?

अपने दर्द-ए-दिल औ राज बाँट सकोगी?

आधा चाँद ने अपनी आधी औ तिरछी मुस्कान के साथ

शीतल चाँदनी छिटका कर कहा -फ़िक्र ना करो,

रात के हमराही हैं हमदोनों.

कितनों के….कितनी हीं जागती रातों का राज़दार हूँ मैं.

आधा चाँद

आधे चाँद का दर्द

वही समझ सकता है,

जो आधा अधूरा होने

का एहसास जानता है.

चाँद जानता है

जल्दी ही वह पूरा हो कर आएगा .

भले हीं एक दिन के लिये हीं……

वह पूरा होने की जद्दो -जहद में

दस्तूर निभाता रहता है………

यह सोच कर कि उसका इंतज़ार

और सब्र काम आएगा।