वक्त

गहरे दरिया के पानी सा खामोशी से बहता है वक्त ।

बिना ठहरे गलता- पिघलता है वक्त ।

घड़ी पर हाथ रखें या वक्त के नब्ज पर,

डूबते वक्त के साये में,

डूब हीं जाता है दिन स्याह अंधेरे में सहर के इंतज़ार में।

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