उनका क्या जो अपनी गलतियों को मन बहलावा कहते हैं और दूसरे की गुनाह।
अहमियत होती है हर खता के सज़ा की, लेकिन
ऐसी सजा जो जुर्म के साथ सही बैठे लाजवाब है ।

उनका क्या जो अपनी गलतियों को मन बहलावा कहते हैं और दूसरे की गुनाह।
अहमियत होती है हर खता के सज़ा की, लेकिन
ऐसी सजा जो जुर्म के साथ सही बैठे लाजवाब है ।

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thank you Shubham.
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