

जब हम एक साथ पढ़ते थे.
ना जाने क्या क्या शरारत करते थे .
लड़ते थे झगड़ते थे.
पर पल में भूल नाचते-गाते, पढ़ते- लिखते,
शाररत भरे गुल खिलाते थे.
अपने प्रिय टीचरों के बदले आए अनजान
टीचरों का चेहरा देख हमारे चेहरे उतर जाते थे.
दिमाग़ में शैतानियाँ भरे बादल घिर आते थे .
नय टीचरों को छकाते और सताते थे.
और परीक्षा आते भगवान याद आते थे .
जब हम सब साथ थे कभी नहीं सोचा
इन मित्रों से मिलने में इतने साल निकल जाएँगे.
जीवन की इतनी यात्राओं के बीच
ना जाने दुनिया में क्या-क्या बदल गया .
ज़िंदगी ने कितने रंग दिखाये.
कभी चले थे यहाँ से ज़िंदगी की राह पर.
आज वापस इस पड़ाव पर,
पीछे मुड़ कर देखने पर
वह जीवन किसी सिनेमा सा दिखता है.
पर तसल्ली है …….खुशी है…..
बिना क़समें खाए , बिना कुंडली मिलाए भी
तुम सब आज ज़िन्दगी में वापस आ गए .
सबका वापस मिलना बड़ा सुकून भरा है .
dedicated to all friends.
सभी मित्रों को समर्पित

beautiful mam 👌👌
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Thank you 😊 so much Shubham .
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Reblogged this on The Shubham Stories.
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Thank you 😊
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जब आँखें बंद कर अतीत में झांकते हैं वाकई सारे दृश्य एक सिनेमा के रील की तरह आंखों के सामने दिख जाती है।
कहाँ थे कहाँ आ गए,
कैसे थे कैसे हो गए,
कभी सोचा न था
ये दुनियाँ ऐसी होगी,
कभी सोचा न था हम वैसे हो गए।
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सचमुच मधुसूदन . लड़कियों के साथ तो एक बात और होती है . उनके नाम या उपनाम बदल जाने से पहचानने में भी वक़्त लगता है .
सुंदर पंक्तियाँ लिखने के लिए आभार .
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स्वागत आपका।
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😊
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कहाँ थे कहाँ आ गए,
कैसे थे कैसे हो गए,
कभी सोचा न था
ये दुनियाँ ऐसी होगी,
कभी सोचा न था हम वैसे हो गए।
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बिलकुल . तब दुनिया अलग थी . ना ज़िम्मेदारियाँ ना उनके एहसास थे . पक्षियों सी आज़ाद , झरणों से गुनगुनाती ज़िंदगी थी .
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बिल्कुल।छल भी नहीं था।
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हाँ, शुक्रिया .
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Such a nostalgic poem❤️💕 I am sure I will be able to relate to it after a few years
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Yes dear, connecting to old friends is a kind of boon.
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It definitely is!!
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thank you dear.
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Waqt aise beeth jathi hai
Bina kahe Bina bataye
Dost hi hai Jo yaad delatein hain Rekha
Fond Regards
Shiva🌷💞
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हाँ शिवा , मुझे एक बात और महसूस होता है कि कम हीं लड़कियाँ अपनी बाल्यकाल की दोस्ती को निभा पाती हैं. इसलिए फिर से connect होना बड़ी ख़ुशी देती है . 😊
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nice!
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Thank you so much.
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एक सुखद अनुभूति का सुखद वर्णन !
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धन्यवाद नीरज .
हाँ , पुराने मित्रों से मिलना और connect होना सुखद अनुभूति है . इसका श्रेय facebook, mobile, what’s app जैसी आधुनिक टेक्नोलोजी को जाता है .
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रेखा दी, सचमुच बचपन की सहेलियां का मिलना बहुत ही अपवादात्मक रूप से होता हैं। क्योंकि सब ससुराल जो चली जाती हैं। मायके आने का सबक वक्त अलग अलग होता है।
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बिलकुल सही कहा आपने . एक बात और होती है . लड़कियाँ अक्सर ससुराल और परिवार को प्राथमिकता देतीं हैं. इसलिए भी मिलना काम हो जाता है .
बहुत धन्यवाद ज्योति जी पढ़ने और विचार बाँटनें के लिए .
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Bilkul movie ki tarah hi lagta hai. Uchhalna kudna, hasna, sir takrana aur exam ke liye lessons yaad karna, ek dusre ki help karna aur punishment milne par sympathise karna 😀 Bachpan yaad gaya. Bahut sundar
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हाँ सोनल, ऐसे हीं बेफिक्री, मस्ती, शरारत मरे दिन होते हैं बचपन के। याद आने पर किसी मूवी की तरह आंखों के सामने भी नाचने लगते हैं इसलिए मैंने उन्हें शब्दों में संजो लिया। आभार तुम्हारा।
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Beautiful
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Thank you 😊
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Nice…. Brings back memories…
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golden memories of old days. 🙂 thank you.
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Nostalgic.
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true, these are treasures .
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