
कहाँ खो जाती है हमारी ख़ुशियाँ ?
विश्व को हम, आध्यात्मिक गुरु
और योग गुरु बन कर सिखाते है –
सभी सुखी हो– सर्वे भवन्तु सुखिनः …….
और स्वयं सुख की सीढ़ियों पर
नीचे उतर रहें हैं.
क्यों ??

विश्व को हम, आध्यात्मिक गुरु
और योग गुरु बन कर सिखाते है –
सभी सुखी हो– सर्वे भवन्तु सुखिनः …….
और स्वयं सुख की सीढ़ियों पर
नीचे उतर रहें हैं.
क्यों ??
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Thank you 😊
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Yahan khushhaali chand logo ke aangan tak simatati jaa rahi …….garib aur garib hote jaa rahe hai….ab aap hi bataayen kaise mushkuraayen.
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आपकी बात सही है . आपकी आज की कविता भी इस ओर इंगित कर रही है . कटु और करपशन राजनीति के बीच ख़ुशियाँ कहाँ मिल सकतीं हैं ?
यह समाचार देश के ख़राब स्थिति को दर्शा रही है .
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Deepak taley Andheraa………ham laakh chhupa len ……..garibi ko kahan lekar jaayenge………bilkul bhayawah sthiti hai……dhanyawad apka.
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हॉ, ठीक यही हो रहा है – पर उपदेश कुशल बहुतेरे !! दूसरों को ज्ञान बाँट रहे है पर अपने यहाँ अंधेरा ,आशिक्षा और ग़रीबी है .
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