डर को जीतो, एक छोटा सा जुगनू रौशनी लिए खड़ा रहता है अंधेरी रातों को चुनौती देता.
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नाज़ुक फूटती कोंपल
दिल के दरारों से बहता दर्द ए दरिया बे अन्दाज़कहता है
भागो मत दर्द भी सुरीला हो जाएगा
बाँसुरी ने बताया है .
और ज़हरका संग सफ़ेद साफ़्फ़क जिस्म चंदन का कभी नील या विषैला नहीं बना पाता
खारे से सागर में पनपता है जीवन
जवाब आया
कोई जल्दी नहीं इन रहस्यों को उजागर करने का .
आख़री पड़ाव पाने के लिए उड़ने कीचाहत है
पर दौड़ना छोड़ो चल भी नहीं पाते
अमृत की तरह विष भी काम आते हैं
वैसे हीं दुखःभी शक्ति साहस देती है
काल के होड़ में तुम अकेले इतना आगे निकल गए ? ख़राब सौदाहवा के ख़िलाफ़ लड़ते रहे हम
आग में तपा सोना
अपनी ही रौशनी से चकाचौंध तपा अंधा सूरज
सुहागे से खरा बना सोना
खंडित कहानी खनकते खजुराहो के खंडहर से ख़्वाब खोई