यादें अगरबत्ती के धुएँ की तरह
आकारहीन फ़िज़ा में मँडराती है .
और धुआँ बिखर जाने के बाद भी
ख़ुशबू सी हवा में घुल जातीं हैं.

यादें अगरबत्ती के धुएँ की तरह
आकारहीन फ़िज़ा में मँडराती है .
और धुआँ बिखर जाने के बाद भी
ख़ुशबू सी हवा में घुल जातीं हैं.

सबसे सुंदर कविता तो नारी है .
आग-पानी-आकाश–वायु –पृथ्वी
पंचतत्व….पंचमहाभूत…..से बनी ,
है सरलतम पर सबसे गूढ़ .
माया कहो या महामाया !!!
नाज़ुक पर शक्ति रूपा.
