प्रश्न हीं प्रश्न है, उत्तर चाहिए .
अपने अंतर्मन …अपने अंदर ….
की यात्रा कैसे करें ?
भूत-भविष्य-वर्तमान में उलझे
दिल को कैसे समझाएँ ?
दुनियवी मोह-माया में भटकते
मन को कैसे वापस लाएँ ?
बादलों के पार सितारों के
पास से आवाज़ आई –
शांत …मौन ….बस मौन हो जाओ.
सुनो ध्यान से , अपने अंतरात्मा की आवाज़.
वह आवाज़ जो सिर्फ़ तुम सुन सकते हो .
वह राह दिखाएगी.

Very well written and expressed a dilemma
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Thank you 😊
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Pleasure is all mine madam.
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😊💐
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🙇🙇🙋♂️🙋♂️💐💐
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Sahi kaha… Antarman ki awaz hi insan ko raah dikhati hai… Awesome 👍👏🤗
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Thank you.
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सुनो ध्यान से , अपने अंतरात्मा की आवाज़.
वह आवाज़ जो सिर्फ़ तुम सुन सकते हो .
वह राह दिखाएगी.
Wah!!
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शुक्रिया रोहित .
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yes dear
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अति सुन्दर 👌👌
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Thank you
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nice
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Thank you 😊
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वाह।।वाह।।बिल्कुल सही —हम सबकी सुनने में खुद को सुनना भूल गए।
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बिलकुल सही. ना हम अपने साथ समय बिताते हैं ना अपनी बातें सुन पाते हैं. शुक्रिया मधुसूदन.
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