ख्याल आया , रात की ओस की बूँदे ना जाने
बंद फूलों पर क्या जादू करतीं हैं
वे जाग जाते है , खिल जाते है .
सुबह की छलकती रौशनी खिलखिलाई
धीरे से कानों में फुसफुसाई-
क्या सोंच रही हो?
ज़िंदगी में ख़ुशियों को ढूँढ़ते ना रहो .
बस हँस कर जी लो ज़िंदगी को .

ख्याल आया , रात की ओस की बूँदे ना जाने
बंद फूलों पर क्या जादू करतीं हैं
वे जाग जाते है , खिल जाते है .
सुबह की छलकती रौशनी खिलखिलाई
धीरे से कानों में फुसफुसाई-
क्या सोंच रही हो?
ज़िंदगी में ख़ुशियों को ढूँढ़ते ना रहो .
बस हँस कर जी लो ज़िंदगी को .

👌👌👌😊
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शुक्रिया .
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Nice
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Thank you Sanjeev.
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Roger that!
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bahut khub likha hai……
dhundh rahe ho jise nahi wo milti hai baazaar men,
pal bhar jhaank ke dekhon apne jivan ke sansaar men,
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उम्दा पंक्तियाँ . बहुत धन्यवाद .
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sukriya apka…..swagat apka.
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