ऊपरवाले, क्यों सारे इम्तिहान मेरे हीं लिये? जिंदगी सबक सिखने के लिये कम है क्या?
क्या हम तुम्हारे पसंदीदा खिलौना हैं ?
रोज़ खेलते, रोज़ तोङते-जोड़ते हो?
जवाब आया – क्या करुँ,
तु भी तो प्रार्थना करती है शर्त दर शर्त ……….

ऊपरवाले, क्यों सारे इम्तिहान मेरे हीं लिये? जिंदगी सबक सिखने के लिये कम है क्या?
क्या हम तुम्हारे पसंदीदा खिलौना हैं ?
रोज़ खेलते, रोज़ तोङते-जोड़ते हो?
जवाब आया – क्या करुँ,
तु भी तो प्रार्थना करती है शर्त दर शर्त ……….

👌👌
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Thank you 😊
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Waah…..kya khub kaha……waise ……..wo hamse khelta nahi…..balki hamen jo khubsurat jindagi usne diya ham khud usse khelte hain.
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हाँ यह भी होता है और उसके हर खेल में कुछ ना कुछ शिक्षा छुपी होती है .
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बिल्कुल ।।।ये भी सच्चाई है।
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अपने विचार बाँटने के लिए धन्यवाद मधुसूदन .
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