इस ख़ूबसूरत ज़िंदगी में
उठते गिरते , बिखरते सिमटते चलते रहे.
अब एक दूरी है ,
जिसे तय नहीं कर सकते.
वहाँ तक पहुँचने के लिए .
अंदर के गूँज को सुनने के लिए मौन हैं
इसलिए ख़ामोश हैं.
इसमें हीं सुकून है.
पर कलम तो मौन नहीं है

इस ख़ूबसूरत ज़िंदगी में
उठते गिरते , बिखरते सिमटते चलते रहे.
अब एक दूरी है ,
जिसे तय नहीं कर सकते.
वहाँ तक पहुँचने के लिए .
अंदर के गूँज को सुनने के लिए मौन हैं
इसलिए ख़ामोश हैं.
इसमें हीं सुकून है.
पर कलम तो मौन नहीं है

बहुत अद्धभुत
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आभार सौरभ .
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Amazingly beautiful Rekha jii !!
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Thank you 😊Nirant.
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Pleasure always jii ☺️
Do check out my recent poem 😊
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Always Welcome!! It’s very impressive.
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☺️☺️🙌🙌
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Wow……. Kamal ki poem hai……. 👌👌😍😍
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शुक्रिया प्रव्या ( हिंदी में नाम सही लिखा है ना मैंने ?). बिलकुल मेरे दिल की बातें हैं, इस कविता में .
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Aa rekha ji bilkul sahi hai aise hi mera naam likhthe hai……
Aapki dil ki baath apki kalm ki madhath se hamari dil thak pahunchi…… Likhthe rehna isi kalm ne apko ek din manzil ki akash par udayengi………
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प्रव्या, बहुत शुक्रिया इतनी प्यारी प्रशंसा के लिए .
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U r always welcome didi……..😁😁
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😊😊
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बहुत ही ख़ूबसूरत रचना।।
अंदर के गूँज को सुनने के लिए मौन हैं
इसलिए ख़ामोश हैं.
इसमें हीं सुकून है.
पर कलम तो मौन नहीं है।
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धन्यवाद मधुसूदन. आपको नहीं लगता कि मन की बात मौन रह कर हीं सुना जा सकता है ?
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मौन रहने में बहुत बड़ी ताकत है।
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बिलकुल।
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