कुछ जिंदगी की हकीकत, कुछ सपने,
थोङी कल्पनाअों के ताने-बाने
जब शब्दों में ढल कर
अंगुलियों से टपकते हैं पन्ने पर।
तब बनती हैं कविता।
जो अंधेरा हो ना हो फिर चांद अौर बिखरी चाँदनीं दिखाती हैं।
जो लिखे शब्दों से दिल में सच्चा एहसास जगाती हैं।
ऐसे जन्म लेती हैं कविताएँ -कहानियाँ।



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