ज़िंदगी के रंग -113

जब तक फूलों सी

ख़ुशबू औ नज़ाकत थी .

बेदर्दी से पेश आते रहे लोग .

अपने को काँटे सा कठोर दिखाने के बाद

हम तो नहीं बदले पर

लोग बदल गए….

कुछ सुधर से गए हैं….

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