जब तक फूलों सी
ख़ुशबू औ नज़ाकत थी .
बेदर्दी से पेश आते रहे लोग .
अपने को काँटे सा कठोर दिखाने के बाद
हम तो नहीं बदले पर
लोग बदल गए….
कुछ सुधर से गए हैं….

जब तक फूलों सी
ख़ुशबू औ नज़ाकत थी .
बेदर्दी से पेश आते रहे लोग .
अपने को काँटे सा कठोर दिखाने के बाद
हम तो नहीं बदले पर
लोग बदल गए….
कुछ सुधर से गए हैं….

very nice lines dear
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Thank you Akanksha.
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Kya baat karna hai ?
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Kyo?
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Ok thanks
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Kuch nahi
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Han tooo ???
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Kya baat ?
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Nahi
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आप उसके लिए फूल हो
जिसकी नजर मे प्यार है
पर कांटों सी हो सख्त
हवस का जो शिकार है।
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