चुनाव -व्यंग

Aim of Election – Elections enable voters to select leaders and to hold them accountable for their performance in office. … As a result, elections help to facilitate social and political integration. Finally, elections serve a self-actualizing purpose by confirming the worth and dignity of individual citizens as human beings.

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चुनाव क्या गज़ब का खेल है?
वैसे तो मालुम नहीं ये भगवान को कितना याद करते हैं ?पर हर पाँच साल पर धर्म, मंदिर-मस्जिद मुद्दा याद कराते हैं।

झगङे बढ़ जाते हैं, मामला वहीं का वहीं रह जाता है।

वैसे तो नहीं पता ये इंसानियत को कितना याद करते हैं?

पर हर पाँच साल पर रिजर्वेशन-आरक्षण का खेल खेलाते हैं।

कभी भारत- पाक भँजाते हैं।

छींटाकशी, टीका-टिप्पणी, आरोप- प्रत्यारोप, एक दूसरे की टाँग खिचाईं में मस्त,

अँग्रेज ‘ङिवाइङ ऐंङ रुल’ का गुरुमंत्र दे गये।

बरसों बीते, अरसे बीते …………

मुद्दा वही पुराना हिट है।

मजे की बात है पक्षी आज भी जाल में फँस जाते हैं,

काश कुछ ऐसे मुद्दे होते –

स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, देश के उज्जवल भविष्य की बातें,

हमें यह लगता – अरे ! इस बार हम छले नहीं गये।

17 thoughts on “चुनाव -व्यंग

    1. किया भी क्या जा सकता है ? यही system है , यही लोग हैं. अपना मन बहलाने के लिए व्यंग हीं ठीक है .

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      1. Woh to hai per , व्यंग लिख कर
        परसाई जी की रचनाओं ने ना जाने कितने ही राजनीतिक बवंडर ला दिए थे…जनता भी हस्ती थी और जागरूक होती थी

        उसी तरह आप भी हस्ते हुए जागरूक कर रहे 👍👍✌️🙂

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      2. परसाई जी की बात अलग है . वे महान लेखक थे.
        मुझे जो बातें ठीक नहीं लगती, उन्हें ऐसे express कर देतीं हूँ . कोशिश करतीं हूँ कि topic sensitive ना हो . आभार !!!!

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    1. 🙂 खेल तो politicians खेलते हैं। वे जब भी खेलेगें हमें तो इस्तेमाल करेगें हीं मैदाने-जंग में। हम सब तो मोहरें या प्यादें हैं।
      आभार !!!!

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  1. ” बरसों बीते, अरसे बीते …………मुद्दा वही पुराना हिट है।” Sad but true!

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