पलट कर अंजुमन-ए- ज़िंदगी को देखा
याद आये इस महफिल के
कई पल… कई रंग….. !
सीखे नियमों का अंधा अनुकरण,
अपनी सोंच कम .
लोग क्या कहेंगे …..
औरों को ख़ुश रखने की कोशिश ….
सब बेकार हो गया .
बेज़ार ज़िंदगी ने हीं सिखाया सबक़ .
किसी का दिल दुखाए बिना ,
अपने नियम बनाओ !
अपने लिए खड़े होना सीखो ,
अपने आप को प्यार करो
और ख़ुश रखो !!!!

खूब सुन्दर रचना
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शुक्रिया नरेन .
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Ati uttam 💛👌
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Dhanyvaad!! 😊
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