एक मुट्ठी इश्क़

एक मुट्ठी इश्क़

बिखेर दो इस ज़मीन पे,

बारिश का मौसम है

शायद मोहब्बत पनप जाए।

 

Unknown

6 thoughts on “एक मुट्ठी इश्क़

  1. बहुत खूब रेखा जी ! पंकज उद-हास जी की मशहूर ग़ज़ल याद दिला दी आपने – ‘आइए बारिशों का मौसम है, इन दिनों चाहतों का मौसम है’ ।

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