मित्रता कर्ण की

लोग उदाहरण देते है कृष्ण- सुदामा के मित्रता की .

पर जान दे कर दोस्ती

तो कर्ण ने भी निभाई दुर्योधन से .

जब कृष्ण ने लालच दिया ज्येष्ठ पांडव बन

राज्य और द्रौपदी को पाने की .

कर्ण के दिल में ठंडक और चेहरे पर मृदु मुस्कान छा गई .

उसका भी परिवार है . वह राज पुत्र है . ……

जिस द्रौपदी को उसने पहली

नज़र में पसंद किया था

,वह उसकी भी अर्धनगिनीबन सकती है .

तभी स्मृति में एक और चेहरा आया .

दुर्योधन को वह धोखा कैसे दे सकता ?

जिसने उसे सम्मान दिलाया .

तब जब उसके अपनो ने भी उसे नहीं पहचान दी . …..

और युद्ध की नियति जानते हुए भी

मित्र के लिए मृत्यु का वरण किया……

 

 

 

8 thoughts on “मित्रता कर्ण की

  1. Mai esi dosti nibhana chahti hu apne apni sari kabiliyat apni dost bahen ki life ko best krne uski khusiyo aur success me lgana

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  2. बिलकुल सही है यह बात । कर्ण की योग्यताओं का ही नहीं वरन उसके व्यक्तित्व के ऐसे उदात्त पक्षों का भी उल्लेख बहुत ही न्यून हुआ है । उसके साथ न इतिहास ने न्याय किया है, न ही विभिन्न लेखकों ने । वह तो अपने जन्म के क्षण से लेकर मृत्यु के क्षण तक सतत रूप से अन्याय से पीड़ित रहा । जब वह इस संसार में आया तो सर्वप्रथम उसका साक्षात् अन्याय से ही हुआ और जब उसके इस संसार से विदा लेने का समय आया, तब भी उसे अन्याय ही प्राप्त हुआ । उसके गुणों को जिसने परखा, जिसने मान दिया, वह उसी का हो गया । यह मित्रता भी थी और कृतज्ञता भी । उसने दोनों ही को निभाने में न केवल अपने प्राणों तक का बलिदान कर दिया वरन युगों-युगों तक निंदा और आलोचना सहने के लिए अपने आपको अभिशप्त बना लिया । मरणोपरांत भी उसे न्याय न मिला । अब तक न मिल सका है ।

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    1. आपकी बातों से मैं पूर्ण सहमत हूँ जितेंद्र जी . कर्ण का चरित्र मुझे पड़ा प्रभावित करता है और मेरे दिल में उसे लिए करुणा भी है .
      कुंती ने भी महाभारत युद्ध के ठीक पहले
      उससे अपने पंच पांडवों के प्राणो की रक्षा की कामना ज़ाहिर की . यह बात कितनी विचित्र है कि तब भी उसने कर्ण की नहीं पंडवो की चिंता थी . इन सब के बाद भी , अपनी मृत्यु निश्चित जान कर भी उसने माँ को वचन दिया . अद्भुत !!!!

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  3. Meri dost bahut achchi h bahut sachchi h .. mai ek kalpana ki thi ek sachchi dost ki pr waise koi nhi mila kafi kuch meri dost fatima me mila mujhe oh sab kuch to mai jaisi dost chahti thi ab mai khud apni best frend ko waisi dost ban jao usse ummid krne k bajay mai khud waisi dost ab uski bnna chahti hu jaise mai apni kalpana ki thi let’s see what happens but dua krna mai ek true frend bnu nibha saku apni dosti harhal me and thank you for comment maim

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      1. Thank you and mai bhi khush hu aap se blog dost ban k and aap k comment mujhe achche lagte h

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