ज़िंदगी को देखने का नज़रिया
सबका अलग-अलग होता है .
हम सही है ,इसका मतलब यह नहीं
कि सामने वाला ग़लत ही हो .
ज़रूरत है सामने वाले की जगह पर जा कर
दुनिया को देखना उसके नज़रिए से …..

ज़िंदगी को देखने का नज़रिया
सबका अलग-अलग होता है .
हम सही है ,इसका मतलब यह नहीं
कि सामने वाला ग़लत ही हो .
ज़रूरत है सामने वाले की जगह पर जा कर
दुनिया को देखना उसके नज़रिए से …..

जी हाँ रेखा जी । सभी इस बात को समझ लें और अपनी सोच में उतार लें तो दुनिया में कोई किसी को कभी ग़लत न समझे ।
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बिलकुल. हम सभी अक्सर लोगों को judge करते राहतें है और जिद्द होती है अपने आप को सही ठहराने की.
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