शब्द

ना जाने कितने हथियार बने

कितने दवा बनी ,

पर ‘शब्द ‘ में है

सारी शक्ति ……

ख़ुशी …ग़म …. पीड़ा … या तस्सली

देनी हो .

मीठे – खट्टे शब्द या बोली हीं

काफ़ी है.

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