अकेलापन

अकेलापन कभी डराता है, कभी सहलाता है।

कभी ख्वाबों ख़यालों में ले जाता है….

तब

कवितायें- कहानियाँ जन्म लेने लगतीं हैं

नये वजूद- चरित्र, मित्र बन

गले में बाहेँ डाल

अपनी दुनिया में खींच ले जाते हैं !!!!!!

19 thoughts on “अकेलापन

  1. अकेलापन भी अजीब है कभी किसी की याद में तड़पा जाता है कभी असलियत दिखा जाता है।लिखने वाला तो कभी कभी भीड़ में भी अकेला हो जाता है और कभी अकेले में भीड़ लगा लेता है।

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    1. बिलकुल सही . बड़ी सुंदर पंक्तियाँ लिखी है आपने – लिखने वाला ……भीड़ लगा लेता है .
      बहुत धन्यवाद . 😊

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  2. अकेलापन भी अजीब है कभी किसी की याद में तड़पा जाता है कभी असलियत दिखा जाता है। लिखने वाला तो कभी कभी भीड़ में भी अकेला हो जाता है और कभी अकेले में भीड़ लगा लेता है।

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    1. जी बिलकुल सही . आपकी आख़रीपंक्तियाँ मुझे बड़ी अच्छी लगी – लिखने वाला ……..भीड़ लगा लेता है .

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