भरोसा अौर फरेब – कविता

धोखा- फरेब की परिभाषा खोजने पर,

जवाब मिला, दूर जाने की क्या जरुरत है?

यह तो अक्सर पास वालों से मिलता है।

खरीदने की भी जरुरत नहीं, मुफ्त बँटता रहता है,

बस थोङा भरोसा कर के तो देखो….

34 thoughts on “भरोसा अौर फरेब – कविता

    1. thank you, jab bhi mere man me kuch vichaar aate hai, mai unhe kuch panktiyon me vykt karne ki koshish karti hun, detail mee likkan ka samay mile ya na mile….. pasand karne ke lite aabhar.

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  1. दिल के टूटने के भी अंदाज अनोखे है…टूटता असल में कुछ भी नहीं….मगर फिर भी बिखर जाती हर चीज़ है……
    Very nice post….👌👌👍👍

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    1. 🙂 टूटता दरअसल ऐतबार अौर विश्वास है। खास कर उनका जिन्हें भरोसा करने की आदत होती है, अौर बिखरती हैं जिन्दगी।
      बहुत शुक्रिया।

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  2. भरोशा शब्द शायद आज के वक़्त में मजाक लगता है ….! भरोसा किस चिड़ियाँ का नाम है , और ये कहाँ मिलती है …….शायद मैं इसकी खोज में हूँ…. शायद मिल जाये

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    1. बात तो सही है. दुनिया के धोखे देख कर ऐसा ही लगता है . पर भरोसे पर दुनिया कायम है. 😊😊

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      1. नही ….मुझे ऐसा नही लगता । प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे को ठगने के फिराक में रहता है।
        और जो दूसरों को सम्मान करता है लोग उसे बेबकुफ़ समझते है और हमेशा उनका फायदा उठाते है।

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      2. हो सकता है आप सही है पर मेरे साथ आजतक ऐसा नही हुआ। जिस पर ज्यादा विस्वास था वो धोका देने में सबसे आगे निकला। अपने -पराये तभी तक है जब तक आप खुश हो बुरे वक्त में सब धोके ही देते है।

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  3. आप की बात शत प्रतिशत सही है. जितना विश्वास किया उतने ही धोखे मिले . पर आदत है लोगों पर भरोसा करने की.
    सब लोग दूसरों को ठगते है , यह ज़रूरी नहीँ. कुछ तो हमारी तरह विश्वास करे की आदत भी रखते होने.

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  4. हाँ …..ये तो बात है , आखिर कुछ अच्छे लोगो की वजह से ही दुनिया टिकी हुई है । तभी तो लोग धोखे खाने के बाद भी उम्मीद नही छोडते है , सोचते है अब अच्छा होगा

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    1. अच्छे का तो मुझे नहीँ पता , पर धोखा देने बालो के साथ साथ धोखा खाने वाले भी तो होने चहिये. 😊😊

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      1. लेकिन ऐसा नही होता है ….मै तो इंतिजार कर रहा हूँ जो अभी मेरी परेशानी पर comment करते है और सुनाने की कोसिस करते है उनके साथ मेरे जैसा ना हो ,लेकिन उनको सबक जरूर मिले

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  5. कहना आसान है लेकिन खुद पर जब कभी बीतता है तब एहसास होता है कि जब आपका अपना कोई इस दुनिया से चला गया और उस वक़्त आपकी मदद ना कर के उपदेश दे या commet करे तो उस वक़्त जो बाते चुभती है उसकी पीड़ा सहने लायक नही होती।

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    1. आप की बातों से मैं पूरी तरह सहमत हूँ। लेकिन लोगों का क्या ? उनका काम है कहना।
      कुछ पंक्तियाँ post करने के लिये लिखी थी पर अभी तक ब्लॉग पर ङालीं नहीं है –

      सुनने वाले के लिये जो सिर्फ कहानियाँ हैं,
      उनमें कितनी अौर कहानियाँ,
      आँसू अौ मुस्कान छुपे हैं,
      सुनाने वाला हीं जान सकता है।

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      1. और पहला लाइक मेरी तरफ से ही रहेगा क्योंकि ये कविता मुझे बहुत पसंद आई है

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