एक गिरगिट से मुलाकात -हास्य व्यंग कविता The Chameleon – Poem

कल पेड़ पर अटके – लटके ,

आँसू बहाते एक गिरगिट से हुई मुलाकत  .

उसने कहा –

घड़ी के काटें के साथ पल पल बदलते ,

तुम लोगों  को देखने के बाद अब ……

अपने रंग बदलने की  अदा का  मै  क्या करूँ ?

मेरी तो पहचान ही खो गई है .

 

 

image from internet.

33 thoughts on “एक गिरगिट से मुलाकात -हास्य व्यंग कविता The Chameleon – Poem

  1. Nice😊aapko bhi girgit inspire krte hai likhne ke liye,maine bhi abhi tk 2 time girgit se inspire hokar likha hai . aap agar pdhna chahe toh meri post “Story of Life:Thank you Ma’am said the Chameleon” pdh sakti hai aur doosri poetry form mai likha hai .

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    1. बहुत धन्यवाद। jar padhna chahungI aapke post, par aaraam se. aaj thoda busy sunday hai. mobile se kavita post ki hai. par aapke post aaraam se padh kar apni pratikriya dungi 🙂

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    1. 🙂 कल हीं किसी से बातें हुई , जिन्होंने मुझे गिरगिट की याद दिला दी। अब ऐसी बातें मन में जमा कर के रखने से अच्छा है आप लोगों से share करना। lol…..
      कविता पसंद करने के लिये धन्यवाद गौरी।

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    1. सविता, मैं तो कभी-कभी लोगों का रवैया देख कर हैरान हो जाती हूँ। गिरगिट भी मात हूँ।

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    1. वंदना , आपकी बात सही है. ये कवितायें और कहानियाँ हम सब वास्तविक जिंदगी की बातों से ही प्रेरित हो कर लिखते है.

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  2. बहुत उम्दा। आपका लेखन मेरे जैसे नवीन रचनाकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।

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    1. जी , कुछ लोगो को देख कर ऐसे ही विचार मन में आते है. बस उन्ही विचारों ही शव्दो का जामा पहना दिया . धन्यवाद . 😊

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    1. शुक्रिया , दरअसल यह कविता मैने किसी की बातों को सुनने के बाद लिखा है. शायद इसलिये यह सच्चाई के करीब लग रहीं है. 😊😊

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