
खुले आसमान के नीचे हम इतनी बँद बँद जिंदगी क्यों जीते है ?
ठीक वैसे जैसे कुछ रिश्ते बंद किताबों में होते है.
अपने आप से खुल कर बाते करो
दिलो – दिमाग पर छाये तूफान को बस गुजर जाने दो….

खुले आसमान के नीचे हम इतनी बँद बँद जिंदगी क्यों जीते है ?
ठीक वैसे जैसे कुछ रिश्ते बंद किताबों में होते है.
अपने आप से खुल कर बाते करो
दिलो – दिमाग पर छाये तूफान को बस गुजर जाने दो….
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