बंद किताबो के रिश्ते – कविता 

खुले आसमान के नीचे हम  इतनी बँद बँद जिंदगी  क्यों  जीते है ?

ठीक वैसे जैसे कुछ रिश्ते बंद किताबों में होते है. 

अपने आप से खुल कर बाते करो 

दिलो – दिमाग पर छाये तूफान को बस गुजर जाने दो….