The Olive Ridley sea turtle nests at several sites in the western Indian Ocean, Indian subcontinent and Southeast Asia. The single most important breeding area for olive ridleys in the Indian Ocean along the Bay of Bengal is Orissa. Olive ridleys get their name from the coloring of their heart-shaped shell, which starts out gray but becomes olive green once the turtles are adults. This story is based on child Psychology and life cycle of Olive Ridley sea turtle.
(यह कहानी बच्चों के बाल मनोविज्ञान पर आधारित है। यह कहानी ऑलिव रीडले कछुओं के बारे में भी बच्चों को जानकारी देती है।” ऑलिव रीडले” कछुओं की एक दुर्लभ प्रजाति है। प्रत्येक वर्ष उड़ीशा के समुद्र तट पर लाखों की संख्या में ये अंडे देने आतें हैं। यह एक रहस्य है कि ये कछुए पैसिफ़िक सागर और हिन्द महासागर से हजारों मील की यात्रा कर इस तट पर ही क्यों अंडे देने आते हैं?)
गुड्डू स्कूल से लौट कर मम्मी को पूरे घर मे खोजते- खोजते परेशान हो गई। मम्मी कहीं मिल ही नहीं रही थी । हाँ, आज पापा जरुर घर में हीं थे । वह रोते-रोते पापा के पास पहुँच गई। पापा ने बताया मम्मी अस्पताल गई है। कुछ दिनों में वापस आ जाएगी। तब तक वे उसका ख्याल रखेगें। शाम में पापा के हाथ से दूध पीना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। दूध पी कर,वह बिस्तर में रोते- रोते न जाने कब सो गई। रात में पापा ने उसे खाना खाने उठाया। वह पापा से लिपट गई। उसे लगा, चलो पापा तो पास है। पर खाना खाते-खाते पापा ने समझाया कि मम्मी अस्पताल में हैं। रात में वे अकेली न रहें इसलिए पापा को अस्पताल जाना पड़ेगा। गुड्डू उदास हो गई। वह डर भी गई थी। वह जानना चाहती थी कि मम्मी अचानक अस्पताल क्यों गई? पर घर में कोई कुछ बता हीं नहीं रहा था।
उसकी आँखों में आँसू देख कर पापा उसके बगल में लेट गए। उन्होंने गुड्डू से पूछा- ‘ गुड्डू कहानी सुनना है क्या?’ अच्छा, मै तुम्हें कछुए की कहानी सुनाता हूँ।’ गुड्डू ने जल्दी से कहा- ‘ नहीं, नहीं,कोई नई कहानी सुनाओ न ! कछुए और खरगोश की कहानी तो स्कूल में आज ही मेरी टीचर ने सुनाई थी।”
पापा ने मुस्कुरा कर जवाब दिया- ” यह दूसरी कहानी है।” गुड्डू ने आँखों के आँसू पोँछ लिए। पापा ने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए कहा- ” बेटा, यह पैसेफिक समुद्र और हिंद महासागर में रहने वाले कछुओं की कहानी हैं। ये आलिव रीडले कछुए के नाम से जाने जाते हैं। हर साल ये कछुए सैकड़ो किलोमीटर दूर से अंडा देने हमारे देश के समुद्र तट पर आते हैं। गुड्डू ने हैरानी से पापा से पूछा- ये हमारे देश में कहाँ अंडे देने आते हैं? ” पापा ने जवाब दिया- ये कछुए हर साल उड़ीसा के गहिरमाथा नाम के जगह पर लाखों की संख्या में आते हैं। अंडे दे कर ये वापस समुद्र में चले जाते हैं। इन छोटे समुद्री कछुओं का यह जन्म स्थान होता है। फिर पापा ने कहानी शुरू की।
हजारों मीलों से लाखों कछुए समुद्र के किनारे आने लगे। जैसे वहाँ उनका मेला लगा हो। धीरे-धीरे वे बाहर बालू पर आने लगे अौर बालू में बङे-बङे गड्ढ़ों की खुदाई करने लगे। उन गड्ढ़ों में उन्हों ने बहुत सारे अंडे दिये। फिर सावधानी से उसे बालू से ढँक कर छुपा दिया अौर चुपचाप गहरे सागर की खुबसूरत नीली लहरों में जा कर खो गये। अब यहाँ, बालू के नीचे कछुओं के सैकङों घोसलें थे । पर ऊपर से सिर्फ सुनहरे बालुअों का सागर तट हीं दिखता था। कोई नहीं कह सकता था कि यहाँ बालुअों के नीचे इतने सारे आलिवे रीडले कछुए के घोंसले हैं अौर इन में कछुओं के ढेरो अंडे हैं। कुछ समय, लगभग दो महीने के बाद एक जादू सा हुआ। रात के समय बालू के नीचे से कछुए के अनेकों बच्चे निकलने लगे। सागर तट कछुए के छोटे-छोटे बच्चों से भर गया।
सभी बच्चों ने घोसलें से निकालने के बाद घोसलें के चारो ओर चक्कर लगाया। जैसे वे कुछ खोज रहे हो। शायद वे अपनी माँ को खोज रहे थे। पर वे अपनी माँ को पहचानते ही नहीं थे। क्योंकि जब वे घोसलें से निकले तब उनकी माँ वहाँ थी हीं नही। माँ को खोजते -खोजते वे सब धीरे-धीरे सागर की ओर बढ़ने लगे। सबसे आगे हल्के हरे रंग का ‘ऑलिव’ कछुआ था। उसके पीछे ढेरो छोटे-छोटे कछुए थे। वे सभी उसके भाई-बहन थे।
‘ऑलिव’ ने थोड़ी दूर एक सफ़ेद बगुले को देखा। उसने पीछे मुड़ कर अपने भाई-बहनों से पूछा- वह हमारी माँ है क्या? हमलोग जब अंडे से निकले थे, तब हमारी माँ हमारे पास नहीं थी। हम उसे कैसे पहचानेगें? पीछे आ रहे गहरे भूरे रंग के कॉफी कछुए ने कहा- भागो-भागो, यह हमारी माँ नहीं हो सकती है। इसने तो एक छोटे से कछुए को खाने के लिए चोंच में पकड़ रखा है। थोड़ा आगे जाने पर उन्हे एक केकड़ा नज़र आया। ऑलिव ने पास जा कर पूछा- क्या तुम मेरी माँ हो? केकड़े ने कहा- नहीं मै तुम्हारी माँ नहीं हूँ।वह तो तुम्हें समुद्र मे मिलेगी।
सभी छोटे कछुए तेज़ी से समुद्र की ओर भागने लगे। वहाँ पहुँचते, नीले पानी की लहरे उन्हें अपने साथ सागर मे बहा ले गई। पानी में पँहुचते ही वे उसमे तैरने लगे। तभी एक डॉल्फ़िन मछली तैरती नज़र आई। इस बार भूरे रंग के ‘कॉफी’ कछुए ने आगे बढ़ कर पूछा- क्या तुम हमारी माँ हो? डॉल्फ़िन ने हँस कर कहा- अरे बुद्धू, तुम्हारी माँ तो तुम जैसी ही होगी न? मै तुम्हारी माँ नहीं हूँ। फिर उसने एक ओर इशारा किया। सभी बच्चे तेज़ी से उधर तैरने लगे। सामने चट्टान के नीचे उन्हे एक बहुत बड़ा कछुआ दिखा। सभी छोटे कछुआ उसके पास पहुच कर माँ-माँ पुकारने लगे। बड़े कछुए ने मुस्कुरा कर देखा और कहा- मैं तुम जैसी तो हूँ। पर तुम्हारी माँ नहीं हूँ। सभी बच्चे चिल्ला पड़े- फिर हमारी माँ कहाँ है? बड़े कछुए ने उन्हें पास बुलाया और कहा- सुनो बच्चों, कछुआ मम्मी अपने अंडे, समुद्र के किनारे बालू के नीचे घोंसले बना कर देती है। फिर उसे बालू से ढ़क देती है। वह वापस हमेशा के लिए समुद्र मे चली जाती है। वह कभी वापस नहीं आती है। अंडे से निकलने के बाद बच्चों को समुद्र में जा करअपना रास्ता स्वयं खोजना पड़ता है। तुम्हारे सामने यह खूबसूरत समुद्र फैला है। जाओ, आगे बढ़ो और अपने आप जिंदगी जीना सीखो। सभी बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी गहरे नीले पानी में आगे बढ़ गए।
कहानी सुन कर गुड्डू सोचने लगी, काश मेरे भी छोटे भाई या बहन होते। कहानी पूरी कर पापा ने गुड्डू की आँसू भरी आँखें देख कर पूछा- अरे, इतने छोटे कछुए इतने बहादुर होते है। तुम तो बड़ी हो चुकी हो। फिर भी रो रही हो? मै रोना नहीं चाहती हूँ । पर मम्मी को याद कर रोना आ जाता है। आँसू पोंछ कर गुड्डू ने मुस्कुराते हुए कहा। थोड़ी देर में वह गहरी नींद मे डूब गई।
अगली सुबह पापा उसे अपने साथ अस्पताल ले गए। वह भी मम्मी से मिलने के लिए परेशान थी। पास पहुँचने पर उसे लगा जैसे उसका सपना साकार हो गया। वह ख़ुशी से उछल पड़ी। मम्मी के बगल में एक छोटी सी गुड़िया जैसी बेबी सो रही थी। मम्मी ने बताया, वह दीदी बन गई है। यह गुड़िया उसकी छोटी बहन है।

Images from internet.

रोचक जानकारी के साथ आपकी पोस्ट अच्छी लगी !
आपने कहानी में भावनाओं को जो बेजोड़ मिश्रण किया है सच में दिल करता है आपको 100 में से 200 नम्बर दूँ , सराहनीय अति उत्तम 👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍💐
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वाह !!! आपने मेरा मन खुश कर दिया. बस पढ़ कर ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहिये. धन्यवाद 😊😊
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beautiful story.. reminded me of the birth of my son and how my daughter felt when i was in the hospital
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Ooh really ? 😊😊 thanks a lot.
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Very well penned down:)
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Thanks a lot. 😊😊
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This is an amazing piece!
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Thank you.
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🙂
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Beautiful story 👏👏👏👏
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Thankyou.😊
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Kabhi kabhi indivine se bahut hi khoobsoorat blogs mil jaate hain.. mujhe aap ke blog jaise hi blog ki badi talaash thi.
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Itne khubsurat taarif ke liye dil se shukriya.
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A story with information. What a great, beautiful combination!
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Thanks Savita. 😊😊
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आपकी कहानी के साथ साथ कछुओ के बारे में दी हुई जानकारी भी अत्यंत रोचक लगी। very nice…
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धन्यवाद गायत्री. 😊😊
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Wish I could read it 🙂
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ok.I will try to translate it in English .
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Penned it so beautifully Ma’am….
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Thank you Trayee. I love writing for children. 😊
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That reflects in this post….
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😊😊
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Such a lovely story. Enjoyed reading it.
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Thank you Sapna.
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And what prompted you to write about Olive Ridleys all of a sudden….?
Did it just occured at the last moment or was it planned?
I mean did you know about them already?
Because down here in Chennai, Olive Ridleys are in danger….
As you have mentioned, they nest on the east coast including the Marina Beach!
They are facing different problems in different places….i.e. in Orissa and TN..
Here, the trawlers of fishermen trap Olive Ridleys along with other catches and drag them down to the depts of the ocean…But these poor creatures have to come up every 45 minutes to respire/breathe to stay alive….Since they are trapped in the bottom trawlers under the sea……And like in Orissa, the fledglings who come out of the sand once the eggs hatches, normally goes seawards, in the night, but due to the presence of Ports and other establishments and their glaring artificial lights, the babies loose their way and instead of reaching the waters they move landwards attracted by the lights on the land…….
Since it is a lengthy post and in Hindi, I have not read it…:-(
But again it is a socially relevant one!
You have an eye to choose them…….
Fantastic!!
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Olive Ridley turtle ka yah mera bahut puraanaa post hai. Tab kahi maine iske baare mai padhaa tha.
Mujhe bacho ke liye likhnaa pasand hai par irrelevant nahi. Isliye kisi awareness ki baat se associate karke likhti hun.
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Wish could read ur story 😅
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So , what is the problem ?
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You write in hindi yaar😊
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Ok, but you read Hindi . Don’t you?
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Hey I’m a new blogger plzz follow me back
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Sure Garima. 😊 happy blogging !!
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Very good story
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Thanks a lot.
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☺
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Beautiful story
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Thank you 😊 Tulsi.
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More informative story about learning
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Thank you . 😊😊
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