जब सूर्य या अर्क एक विशेष समय पर, एक ख़ास कोण से उदित होते हैं। तब कोणार्क मंदिर मेँ एक दिव्य दृश्य दिखता है। लगता है जैसे सूर्य देव मंदिर के अंदर जगमगा रहें है। शायद इसलिए यह मंदिर कोणार्क कहलाया । यहाँ सूर्य को बिरंचि-नारायण भी कहा जाता है। इसका काफी काम काले ग्रेनाईट पत्थरों से हुआ है। इसलिए इसे काला पैगोड़ा भी कहा जाता है।
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