हर साल गणपती की स्थापना की जाती है . ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है। इसे लिखना कठिनथा। अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपती जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की।
गणपती जी ने सहमति दी और अनवरत लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ . थकान और भूख प्यास से गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की।
मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा।
महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला।अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ।वेदव्यास ने देखा कि, गणपती का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है, तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया।
इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए।तभी से गणपती बैठाने की प्रथा चल पड़ी। इन दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद विभिन्न भोजन अर्पित किए जाते हैं।।

Courtesy- google

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